सियाचिन में तैनात जवान ताबूत में लौटा घर, बच्चों ने कहा 'मम्मी बताओ न पापा को क्या हो गया'


सियाचिन ग्लेश्यिर में देश की सुरक्षा के लिए तैनात महार रेजिमेंट के हवलदार रमेश बहुगुणा का पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ पैतृक गांव साबली पहुंचा। जिगर के टुकड़े को तिरंगे से लिपटे ताबूत में देखकर परिजन बिलख पड़े। परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए आए लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पाए।  सियाचिन में तैनात टिहरी जिले के साबली गांव निवासी हवलदार रमेश बहुगुणा (38) पुत्र स्व. टीकाराम बहुगुणा की अत्यधिक ठंड लगने व ऑक्सीजन की कमी से तबीयत बिगड़ गई थी।


जवान ने सोमवार रात को चंडीगढ़ सेना के अस्पताल में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। सेना के जवान मंगलवार देर रात हवलदार रमेश बहुगुणा का शव लेेकर उनके गांव साबली पहुंचे। माहौल उस समय गमगीन हो गया, जब तिरंगे में लिपटे रमेश को देखकर माता सरस्वती देवी, पत्नी लक्ष्मी देवी रो-रोकर बेसुध हो गई। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें बमुश्किल संभाला। वहीं बड़े भाई दिनेश और महेश के आंसू भी नहीं थम रहे थे। घर पर उमड़े लोगों की आंखें भी नम हो गई। बुधवार को दिनभर आसपास के ग्रामीण, रिश्ते-नातेदार ढांढस बंधाने के लिए पहुंचते रहे। जवान के बड़े भाई दिनेश ने बताया कि अत्यधिक ठंड के कारण उनके छोटे भाई रमेश के ब्रेन में खून का थक्का जम गया था। चंडीगढ़ अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आपरेशन किया, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी रमेश को नहीं बचाया जा सका। हालांकि सेना की तरफ से अभी तक मौत के कारण की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।


सेना के अधिकारियों ने परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया। रमेश के छोटे मासूम बच्चे बेटी वैष्णवी (4) और बेटा अभिनव (6) अपनी मां से एक ही सवाल कर रहे हैं। मम्मी बताओ न! मेरे पापा को क्या हो गया। सियाचीन में तैनात हवलदार रमेश बहुगुणा के पार्थिव शरीर का सैन्य सम्मान के साथ ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट में अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के पार्थिव शरीर को उसके बड़े भाई दिनेश और बेटे अभिनव ने मुखाग्नि दी। महार रेजिमेंट के जवानों ने गार्ड ऑफ  ऑनर दिया।


हवलदार रमेश बहुगुणा का शव बुधवार सुबह ऋषिकेश पूर्णानंद घाट पर लाया गया। शव को आर्मी जवानों अधिकारियों के साथ परिजनों ने कंधा दिया। शहीद के शव पर सेना की ओर से पुष्प चक्र चढ़ाया गया और सलामी देकर अंतिम विदाई दी गई। उसके बाद सेना ने ताबूत से तिरंगा हटाया और शहीद की वर्दी उसके भाई को सौंपी। भाई ने डबडबाई आंखों से रमेश की चिता को मुखाग्नि दी। शव यात्रा में टिहरी विधायक धन सिंह नेगी, प्रधान सुधीर बहुगुणा, सुशील कुमार बहुगुणा, डिमेश्वर प्रसाद, अंकित और महेश दिनेश सहित कई शामिल हुए।